Monday, 15 June 2020

हम क्या बताएं जनाब...


वक़्त बदल जाता है
वक़्त की इनायत भी
सुहाने शाम के बाद काली रात की तरह
बदल जाती है मोहब्ब्त भी

वो खुशनुमा आवाज़, वो प्यारी मुस्कान,
हमें महरूम कर गए।

दिल - ए - गुलिस्तान कि यादें, हम क्या बताएं जनाब,

वो भी एक दिन था हमारा
जिसने हमें तब्दील कर दिया
जिस राबिता की इबादत की थी
उसी ने आंसुओं से भर दिया 

Priya H. Rai

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वक़्त बदल जाता है वक़्त की इनायत भी सुहाने शाम के बाद काली रात की तरह बदल जाती है मोहब्ब्त भी वो खुशनुमा आवाज़, वो प्यारी मुस्क...