Thursday, 26 December 2019

Jab hoga tab hoga...



जब होगा तब होगा
उस तब की तलाश में
मैं अपना आज और अभी छोर दूं?

तुम्हारी आंखों की मुस्कुराहट को रोक दूं?
या फिर तुम्हारी हाथो के स्पर्श को रोक दूं?

कभी महसूस नहीं किया कि में भी एक हिस्सा हूं
किसी की जिंदगी का 
किसी की ख्वाहिशों का
किसी की कहानियों में 
मैं भी एक किस्सा हूं।

ज़हन में  दो पल आने तो दो
तुम्हारी सासों की गर्माहट में सामने तो दो
जब होगा तब होगा
उस तब की तलाश में
मैं अपना आज और अभी छोड़ दूं?

छोड़ दूं उन लम्हों को?
जब दिल बेचैन होता है
थोड़ा गमगीन भी होता है
की तुम मेरे आज और अभी हो मगर कल का पता नहीं।

जब होगा तब होगा
उस तब की तलाश में
मेरे मन की मुस्कान को ना जाने दो
मेरे धड़कनों की आवाज़ को तुम्हारे कंधे पे सिर रख थोड़ा शरमाने दो।

आज और अभी, यही है मेरा।
तुम भी थोड़ा जान लो 
इस बात को तुम भी अब थोड़ा मान लो

की जब होगा...तब होगा...

Priya H. Rai



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